वर्ष 1996 में श्री राजीव दीक्षित जी से मेरी पहली भेंट हुई| उनके व्याख्यानों से प्रभावित हुआ, मन में स्वदेशी के बीज अंकुरित हुए परंतु मीडिया में व्यस्तता के कारण सक्रिय नहीं हो पाया|
वर्ष 1999 में दैनिक समाचार पत्र में संपादक का कार्य छोड़ा, इन्ही दिनों राजीव भाई के साथ गहन चिंतन मनन का समय मिल पाया| उन्होने अपने जीवन के तीन सपनों को साकार करने की योजना पर चर्चा की|
- स्वावलंबी जैविक कृषि एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना|
- स्वावलंबी गौशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केंद्र की स्थापना|
- राजनीति एवं अपराध से मुक्त मीडिया की स्थापना|
इन विषयों पर वर्षों तक चिंतन करने के बाद सर्वप्रथम जैविक कृषि एवं प्रशिक्षण केंद्र शुरू करने की योजना बनी| इसी संदर्भ में हमारी मुलाक़ात स्वर्गीय किशन शाह जी से हुई, उनके मन में भी प्रबल इच्छा थी की एक जैविक कृषि केंद्र की स्थापना हो| अतः उन्होने अपनी जमीन राष्ट्रनिर्माण के इस कार्य में देने के लिए वचन दिया| उनके पारस्परिक सहयोग से केंद्र में अक्टुबर 1999 से कार्य आरंभ हुआ| जैविक कृषि का काम चल पड़ा, सब्जियाँ और धान की फसल उगने लगी लेकिन मुश्किल यह आई की कृषि के लिए पास के गांवों से गव्य(गोबर-गौमूत्र) खरीदना महंगा पढ़ने लगा| अतः मन में गौशाला की स्थापना की बात आई| प्रस्ताव जैसे ही किशन भाई के सामने रखा गया तो उन्होने सहर्ष स्वीकार कर लिया और कहा यह तो मेरा भी सपना है| गौशाला स्थापना का विचार सभी के मन में प्रबल था, इसकी जानकारी किशन शाह जी ने जगत गुरु कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी को दी इस पर उन्होने उत्तर दिया की “हमारे पास हजारों की संख्या में गायें है| मैं इस पुण्य कार्य में 100 गायें दान देता हूँ”| लेकिन जब उनकी गौशाला में गया तो कुल चाल गायें ही थी, शेष सभी गाय की तरह दिखने वाली जर्सी, होल्सटीन, फ्रीजियन, क्रॉस आदि भरी पड़ी थी| इस कारण हमने मात्र 4 गायें लेकर ही संतोष किया और यहीं से गौशाला का शुभारंभ हुआ|
कुछ माह के बाद शुद्धाद्वैत संप्रदाय के गुरु और वल्लभाचार्य जी की पीढ़ी के श्री यदुनाथ जी महोदय का आगमन गौशाला में हुआ| गौशाला की कार्यविधियों से प्रसन्न होकर उन्होने अपनी और से एक गाय खरीदने के लिए सहयोग दिया| उनके साथ पधारें हुए सात और गौप्रेमियों ने भी महाराज जी के पीछे-पीछे एक-एक गाय दान की| इस प्रकार गौशाला में सात और गाय खरीद ली गयी| फिर गौशाला में कुल ग्यारह गायें हो गयी और गौशाला का काम जैविक कृषि के साथ तेजी से आगे निकल चला. वर्ष 2007 , जब अ.ब. राजीव भाई ने पहली इतिहासिक स्वास्थ्य कथा चेन्नै के सी यु शाह भवन (जहाँ पंचगव्य चिकित्सालय है) में किया उस समय तक लगभग 50 गौमाताएं हो गईं|
अ.ब. राजीव भाई द्वारा पहली इतिहासिक स्वास्थ्य कथा चेन्नै के सी यु शाह भवन में करने को योजना बनी. इसके लिए कुछ लोगों ने भरपूर विरोध किया. ये वही लोग थे जो राजीव भाई को मोहरा बना कर आपनी चलाना चाहते थे. लेकिन राजीव भाई खान बंधन में बंधने वाले थे. सो उन लोगों की योजना विफल हुई और कथा आपने रंग रूप में हुई. दिसंबर का महिना था, सर्दियों के दिन थे. सी यु शाह भवन के परिसर में 700 से जयादा लोग नहीं बैठ सकते हैं. इसलिए जानबूझ कर कथा को सुबह 7 बजे से रखा गया फिर भी इतनी भीड़ की जगह नहीं.
सात दिनों तक 3-3 घंटे की कथा चली. फिर अंत में कथा से उपजे सवालों का जवाब भी सुनते ही बना. आज उसी कथा को पूरा देश सुन रहा है और निरोगी हो रहा है. इस कथा को करने में जो संघर्ष झेलना पड़ा उसकी कथा भी लिखूंगा.
इस सवास्थ्य कथा के कारन भारत देश के लोगों की सोंच में बड़ा परिवर्तन आया है. वे अब तेजी के साथ बदलना चाहते हैं. लेकिन वषों से चली आ रही उलटी संस्कृति से बहार आने में समय तो लगेगा ही. इस कथा के कारन लोग मिट्टी के बरतन में भोजन पकाने लगे हैं. अलुमिनियम से नाता तोड़ रहे हैं. जल पीने में सुधार ला रहे हैं. भोजन कराने में भी सुधार हो रहा है. लोग फिर से बैठ कर शांति पूर्वक भोजन करने लगे हैं.
अतः हमें आशा है की देर ही सही लेकिन भारत फिर से सम्पूर्ण निरोगी हो सकता है यदि उसने आपने जीवन की रक्छा के लिए फिर से गोमाता को आपना ले. उसकी सेवा करे, उसकी साधना करे.
– निरंजन वर्मा
Shri man
mi aaj gayo ki durdasha se bhut hi sukhi hota hu.kyoki gaye sadko pr gandgi kha rahi hi.or goshalao li sisthi sahi nahi hi.sabhi ne goshalao ko apni kamai ka jaria bna lia hi.kripa mara marg darshan kre ke mi ek ase goshala kholna chahta hu jisme gayo ka panch gavye se hi unka palan ho.
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GuruJi
Me Rajivbhai ko 3 varsh se sun raha hu
Aur aapko Bhi suna He
Me Gaushala shuru karna chahta hu
Aur Panchgavya Vigyan ko samzna chahta hu
aap.meera uske liye margDarsha karare aur
Agar muze uske liye Kuch Sahitya Bhej sake to…..aapka dhanyavad
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Abhi SURAT me suvidha hai
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Guruji Me 4 varsh se Sajiv kheti kar raha hu aur Rajivbhai ko sun raha hu
Aur me Apne khet me Gaushala ka Nirman karna chahta hu
Krupiya MargDarshan kare
Aur me Panchgavya Chikisha ke bareme Adhyayan bhi karna chahta hu….
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Mai uska jo kuch bhi kharch hoga vo karunga
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